देवघर: वो अपने नाना- नानी की दुलारी थी, वो अपने ननिहाल की राजकुमारी थी, वो हंसती तो पूरा आंगन खिल उठता और वो रोती तो पूरे घर में मायूसी छा जाती, जिसकी एक आवाज़ पर पूरे परिवार का मज़मा लग जाता वो बेहद ही खामोशी से अलविदा कह गई।
महज़ एक साल की वह मासूम अपनों से रूठ कर परियों की गोद में चली गई। जी हां, मौत, मातम और गम की यह वो दर्दनाक दास्तान है जिसे जिस किसी ने भी अपनी आंखों से देखा वही ग़मगीन हो गया, उसका कालेज फट गया।
क्योंकि, पौ फटने तक वो नन्ही सी जान अपनी नानी की गोद में थी, सूरज सर पर आते ही पहुंच गई अस्पताल और जैसे ही उजाले ने धीरे- धीरे अंधेरे की चादर लपेटनी शुरू की वो नन्ही परी नानी की गोद से रूठकर परियों के आंचल में समा गई।
जसीडीह के बसुआडीह में पेश आये इस सड़क हादसे के बाद हंगामा भी खूब बरपा, आधे दर्जन से ज्यादा गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई सड़क जाम किया गया लेकिन, काश वो मासूम यह सब देखने के लिए हमसब के बीच होती, वो होती तो देखती अपने ननिहाल में वो कितनी दुलारी है उसे यह अहसास होता वह तो ननिहाल की राजकुमारी है अब वही प्रिंसेस अपना नानका हमेशा के लिए छोड़ चुकी है और अपने पीछे पूरे परिवार के लिए अपनी खूबसूरत मुस्कान छोड़ गई है।
बहरहाल, कानून उसकी मौत के लिए जिम्मेदार को मुक्कमल सज़ा देगा…? इसी उम्मीद के सहारे बूढ़े नाना नानी की जिंदगी गुजरेगी लेकिन, इस तरह के हादसे दोबारा पेश न आये इसके लिए प्रशासन कब चेतेगी।
समृद्ध झारखण्ड के लिए देवघर से सुनील कुमार की रिपोर्ट…